इस आसान से मंत्र के टोटके से पूरी हो जाती है हर मनोकामना

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इस आसान से मंत्र के टोटके से पूरी हो जाती है हर मनोकामना

अगर आपकी कोई ऐसी इच्छा ऐसी है जो आपके लाख प्रयासों के बाद भी पूरी नहीं हो रही हैं और तो इसके लिए आप एक आसान सा मंत्र प्रयोग कर करें। इस मंत्र के प्रभाव से आपकी वह इच्छा कुछ ही दिनों में पूरी होगी और आपका बड़े से बड़ा दुर्भाग्य भी सौभाग्य में बदल जाएगा।

इसके लिए आप दीवाली की रात को मां लक्ष्मीजी का पूजन करें। उसके बाद निम्न मंत्र का दस हजार जप करें तथा भगवान से अपनी इच्छा पूरी करने की प्रार्थना करें। इसके प्रभाव से आपका बिगड़ा काम भी बन जाएगा। मंत्र निम्न प्रकार है –

ह्रीं मातसे मनसे ऊँ ऊँ

दुर्गा सप्तशती के पाठ का महत्व

माँ दुर्गा की आराधना और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ सर्वोत्तम है। भुवनेश्वरी संहिता में कहा गया है- जिस प्रकार से ”वेद” अनादि है, उसी प्रकार ”सप्तशती” भी अनादि है ।

दुर्गा सप्तशती के 700 श्लोकों में देवी-चरित्र का वर्णन है। दुर्गा सप्तशती में कुल 13 अध्याय हैं। दुर्गा सप्तशती के सभी तेरह अध्याय अलग अलग इच्छित मनोकामना की सहर्ष ही पूर्ति करते है।

प्रथम अध्याय – इसके पाठ से सभी प्रकार की चिंता दूर होती है एवं शक्तिशाली से शक्तिशाली शत्रु का भी भय दूर होता है शत्रुओं का नाश होता है।
द्वितीय अध्याय – इसके पाठ से बलवान शत्रु द्वारा घर एवं भूमि पर अधिकार करने एवं किसी भी प्रकार के वाद विवाद आदि में विजय प्राप्त होती है।
तृतीय अध्याय – तृतीय अध्याय के पाठ से युद्ध एवं मुक़दमे में विजय, शत्रुओं से छुटकारा मिलता है।
चतुर्थ अध्याय – इस अध्याय के पाठ से धन, सुन्दर जीवन साथी एवं माँ की भक्ति की प्राप्ति होती है।
पंचम अध्याय – पंचम अध्याय के पाठ से भक्ति मिलती है, भय, बुरे स्वप्नों और भूत प्रेत बाधाओं का निराकरण होता है।
छठा अध्याय – इस अध्याय के पाठ से समस्त बाधाएं दूर होती है और समस्त मनवाँछित फलो की प्राप्ति होती है ।
सातवाँ अध्याय – इस अध्याय के पाठ से ह्रदय की समस्त कामना अथवा किसी विशेष गुप्त कामना की पूर्ति होती है।
आठवाँ अध्याय – अष्टम अध्याय के पाठ से धन लाभ के साथ वशीकरण प्रबल होता है।
नौवां अध्याय – नवम अध्याय के पाठ से खोये हुए की तलाश में सफलता मिलती है, संपत्ति एवं धन का लाभ भी प्राप्त होता है।
दसवाँ अध्याय – इस अध्याय के पाठ से गुमशुदा की तलाश होती है, शक्ति और संतान का सुख भी प्राप्त होता है।
ग्यारहवाँ अध्याय – ग्यारहवें अध्याय के पाठ से किसी भी प्रकार की चिंता से मुक्ति , व्यापार में सफलता एवं सुख-संपत्ति की प्राप्ति होती है।

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