सभी रुद्राक्षों में एकमुखी रुद्राक्ष को सबसे ऊपर रखा गया है। इसका कारण यह है कि एक मुखी रुद्राक्ष को भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है। कहते हैं कि भगवान शिव की आंखो से सभी लोगों के कल्याण के लिए निकले आंसुओं से एकमुखी रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई है।
घर परिवार की समृद्धि के लिए भी इसे उपयोगी माना गया है। कहते हैं, जहां एकमुखी रुद्राक्ष होता है वहां लक्ष्मी का वास होता है।
कहते हैं एकमुखी रुद्राक्ष के प्रयोग से सांसारिक मोह कम होता है। यह हमारी इंद्रियों को केंद्रित कर मन की शांति बढ़ाता है। यह तनावपूर्ण स्थितियों से उबारने में सहायक होता है और नेतृत्व क्षमता बढ़ाता है।
कई शारीरिक परेशानियों में यह लाभकारी बताया गया है। बीपी की समस्या में इससे आराम मिलता है। इसका उपयोग करने से आंखों की रोशनी तेज होती है। सिरदर्द , हृदय रोग, पेट संबंधी रोगों से छुटकारा मिलता है।
एकमुखी रुद्राक्ष को भाग्यवृद्धि का कारक माना गया है। विश्वास है कि यह रुद्राक्ष कार्यों में सफलता, धन-संपत्ति, मान-सम्मान दिलाता है। यदि आपके कार्यों में बाधा आ रही हो तो एकमुखी रुद्राक्ष लाभकारी हो सकता है।