जब जन्मकुंडली में सभी ग्रह राहू और केतु के बीच आ जाते हैं तो कालसर्प योग का निर्माण होता है। यदि कोई एक ग्रह इन योगों के बीच आने से रह जाए तो उसे आंशिक कालसर्प योग कहा जाता है। ज्योतिष के अनुसार यह एक दुर्लभ घटना है और ऐसा ही इसका प्रभाव भी होता है।
कालसर्प योग जहां व्यक्ति को हर प्रकार से लाचार, बेचारा और असहाय करके उसके सौभाग्य को रोक देता है वहीं दूसरी तरफ अनुकूल परिस्थितियों में सड़क के भिखारी को भी राजा बना देता है। ज्योतिष की मान्यताओं के अनुसार कालसर्प योग पूर्वजन्मों के अशुभ कर्मों के फलस्वरूप होता है इस योग के बनने पर निम्न पांच प्रकार के दुर्भाग्य व्यक्ति के पीछे लग जाते हैं।
1. अकाल मृत्यु या मृत्यु के समय अत्यधिक कष्ट होना।
2. विवाह में देरी तथा वैवाहिक सुख में कमी।
3. संतान सुख से वंचित रहना।
4. शारीरिक व मानसिक दुर्बलता।
5. कड़ी मेहनत के बाद भी सफलता प्राप्त न होना और सब कुछ मिट्टी में मिल जाना।
कुंडली में अन्य ग्रहों की स्थिति के आधार पर ही इन पांच में से कोई एक या अधिक दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियां मनुष्य को भोगनी पड़ सकती है। हालांकि इसके लिए भी कुछ उपाय बताए गए हैं जो इस दोष का निवारण करते हैं।
मोटे तौर पर 12 प्रकार के कालसर्प योग बताए गए हैं परन्तु 12 राशियों और 12 लग्नों के अनुसार गणना करने पर कुल 144 प्रकार के कालसर्प योग बनते हैं। सभी के लिए अलग-अलग उपाय होते हैं। परन्तु ज्योतिष व तंत्र शास्त्र में कुछ ऐसे उपाय भी है जो इन सभी के लिए समान रूप से उपयोगी हैं और तुरंत राहत देते हैं। इन उपायों में कोई ज्यादा खर्चा भी नहीं होता, आप भी जानिए ऐसे ही कुछ उपाय जिन्हें करने से आराम मिलता है। यदि इन उपायों को सावन के महीने में या श्राद्ध पक्ष में किया जाए तो तुरंत असर होता है।
1. सोमवार का व्रत करने तथा उस दिन भगवान शिव का जलाभिषेक करने से तुरंत राहत मिलती हैं।
2. भगवान कृष्ण की पूजा करें तथा प्रतिदिन “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का जप करें।
3. पितरों का श्राद्ध व तर्पण करें।
4. पितरों के निमित्त नारायण बलि करें।
5. भगवान शिव की पूजा करें तथा महामृत्युंजय मंत्र का नियमित रूप से जप करें।
6. राहू तथा केतु की वस्तुएं जैसे काले तिल, तेल, स्वर्ण, काले रंग की वस्तुएं, काले कपड़े, नारियल आदि दान करें।
7. नियमित रूप से सप्ताह में कम से कम एक बार किसी गरीब को भोजन अथवा अन्य कुछ सामग्री दान करें।