इस बार गुरु पूर्णिमा पर अद्भुत शुभ संयोग बन रहा है। इस बार गुरु पूर्णिमा अर्थात 9 जुलाई को देवगुरु बृहस्पति का बुध की राशि कन्या में गोचर होगा जबकि गुरु पूर्णिमा पूर्वाषाढ़ नक्षत्र में मनाई जाएगी। ज्योतिषियों के अनुसार 12 वर्ष बाद इस तरह का संयोग बन रहा है जबकि गुरु, बुध की राशि में रहेंगे। इस दौरान किया गया हर शुभ कार्य अवश्य ही फलीभूत होगा। इस दिन किए गए दान-पुण्य का भी हजार गुणा फल मिलेगा।
प्राचीन पुराणों के अनुसार महर्षि वेद व्यास को आदि गुरु माना जाता है। उन्होंने महाभारत के अलावा वेद तथा पुराणों की भी रचना की थी, इसी से उन्हें संपूर्ण विश्व का गुरु माना जाता है। आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था। अतः गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है।
शास्त्रानुसार गुरु पूर्णिमा पर अपने गुरु की पूजा की जाती है। जिन लोगों के गुरु स्वर्गारोहण कर चुके हैं, वे अपने गुरु की प्रतिमा अथवा चित्र की पूजा करते हैं। जिन लोगों ने अभी तक गुरु नहीं बनाएं, वो इस दिन अपने ईष्टदेव अथवा माता-पिता की पूजा कर सकते हैं।
पूजा के लिए सुबह स्नान-ध्यान आदि से निवृत्त होकर साफ धुले कपड़े पहन कर गुरु के घर जाएं। वहां उनके चरण धोएं, उनका चंदन आदि का तिलक लगाएं, उन्हें पुष्पमाला पहनाएं, आरती करें तथा उन्हें मिठाई व अपनी सामर्थ्यनुसार भेंट अर्पित करें। इसके बाद उनके चरणों में शीश झुकाकर उनका आशीर्वाद लें। अपने ईष्टदेव की भी इसी प्रकार पूजा करें।