तुलसी की पूजा से आती है सुख, शांति और समृदि्ध

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तुलसी के पौधे की पूजा से घर के ग्रह-क्लेश समाप्त होकर घर में सुख, शांति और समृदि्ध आती है।

तुलसी को भगवान विष्णु की पत्नी माना जाता है। तुलसी की पूजा से बुरे ग्रहों से छुटकारा मिलता… तुलसी को भगवान विष्णु की पत्नी माना जाता है। तुलसी की पूजा से बुरे ग्रहों से छुटकारा मिलता है और घर के ग्रह-क्लेश समाप्त होकर घर में सुख, शांति, और समृदि्ध आती है।

ये हैं तुलसी के 8 नाम तुलसी को कई नामों से पुकारा जाता है। इनके 8 नाम मुख्य हैंवृंदावनी, वृंदा, विश्व पूजिता, विश्व पावनी, पुष्पसारा, नन्दिनी, कृष्ण जीवनी और तुलसी। इन नामों द्वारा प्रणाम करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।

नामों का अर्थ –

1. वृंदा – सभी वनस्पति व वृक्षों की आधि देवी।
2. वृन्दावनी – जिनका उद्भव व्रज में हुआ।
3. विश्वपूजिता – समस्त जगत द्वारा पूजित।
4. विश्व-पावनी – त्रिलोकी को पावन करने वाली।
5. पुष्पसारा – हर पुष्प का सार।
6. नंदिनी – ऋषि-मुनियों को आनंद।
7. कृष्ण जीवनी – श्रीकृष्ण की प्राण जीवनी।
8. तुलसी – अद्वितीय।

तुलसी नामाष्टक

आज विश्व में तुलसी को देवी रूप में हर घर में पूजा जाता है। इसकी नियमित पूजा से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है व पुण्य में वृद्धि होती है। यह बहुत पवित्र मानी जाती है और सभी देवी-देवताओं को अर्पित की जाती है। तुलसी पूजा करने के कई विधान दिए गए हैं। उनमें से एक तुलसी नामाष्टक का पाठ करने का विधान है। जो व्यक्ति तुलसी नामाष्टक का नियमित पाठ करता है, उसे अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य फल मिलता है। इस नामाष्टक का पाठ पूरे विधान से करना चाहिए। विशेष रूप से कार्तिक माह में इस पाठ को करना चाहिए।

नामाष्टक पाठ
वृंदा,वृन्दावनी,विश्वपुजिता,विश्वपावनी।
पुष्पसारा,नंदिनी च तुलसी,कृष्णजीवनी।।
एत नाम अष्टकं चैव स्त्रोत्र नामार्थ संयुतम।
य:पठेत तां सम्पूज्य सोभवमेघ फलं लभेत।।
श्रीतुलसी प्रदक्षिणा मंत्र –
यानि कानि च पापानि जन्मान्तर कृतानि चतानि तानि प्रनष्यन्ति प्रदक्षिणायाम् पदे पदे ।

उक्त मंत्र को बोलते हुए पूज्यभाव से तुलसी के पौधे को हिलाए बिना उसके अग्रभाग को तोडें। इससे पूजा का फल कई गुना बढ़ जाता है।

तुलस्यमृतजन्मासि सदा त्वं केषवप्रिया।
चिनोमि केषवस्वार्थे वरदा भव षोभने।।
त्वदंगसंभवै: पत्रै: पूजयामि यथा हरिमृ।
तथा कुरू पवित्रांगि कलौ मलविनाषिनि ।।
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