बगलामुखी विद्या दस महाविद्याओं में प्रमुख है। अपने इस रूप में मां भगवती अपने भक्त के सभी संशयों को समाप्त करती है और उसे जन्म-मरण के चक्र से मुक्त कर देती है। “बगला” शब्द “वल्गा” से बना है, जिसका अर्थ है “नियंत्रण“। इनका स्वरूप भी ऐसा ही है, ये क्रोधस्वरूपा तथा दुष्टों की जीभ खींचती हुई उसे मृत्यु दे रही है। इनकी साधना का अर्थ है अपनी जिव्हा पर नियंत्रण करना जो जाने-अनजाने कई पापों का कारण बनती है। इन्हें पीत वस्त्र पहनने के कारण पीताम्बरा के नाम से भी जाना जाता है।
मां बगलामुखी की साधना से साधक के जीवन में आने वाले सभी कष्ट सहज ही नष्ट हो जाते हैं। साथ ही साथ आध्यात्म के मार्ग पर आने वाली पंच विकार बाधाओं, काम, क्रोध, मोह, लोभ तथा अहंकार भी दूर हो जाते हैं। ये अपने भक्तों को न केवल इस जीवन में इच्छापूर्ति करती है वरन उसे जन्म-मृत्यु के चक्र से भी मुक्त कर देती है। भगवान कृष्ण तथा अर्जुन ने भी विजय की प्राप्ति हेतु मां बगलामुखी की आराधना की थी। इनका मंत्र निम्न प्रकार है