देवशयनी एकादशी (4 जुलाई 2017) पर मंगलवार को भगवान विष्णु तथा अन्य सभी देवी-देवताओं के शयन के लिए चले जाने पर चार माह के लिए शुभ कार्यों पर रोक लग जाएगी। इसी के साथ जैनियों के महापर्व चातुर्मास की भी शुरुआत हो जाएगी। चार माह बाद देवउठनी एकादशी (31 अक्टूबर 2017) के साथ मांगलिक कार्यों की शुरुआत होगी।
देवशयनी एकादशी तथा देवउठनी एकादशी, दोनों ही दिन विवाह आदि के लिए अबूझ सावे रहेंगे। ज्योतिषियों के अनुसार इस दौरान गुरु अस्त रहेगा, जो कि 8 नवंबर को उदय होगा।
ज्योतिष गणना के अनुसार देवउठनी एकादशी जो खुद अबूझ सावा है, के बाद पहला विवाह का मुहूर्त 19 नवंबर का रहेगा। इसके अलावा 23, 24, 28, 29 और 30 नवंबर का सावा रहेगा। दिसंबर माह में 3 दिसंबर, 4, 10 के बाद 11 दिसंबर का आखिरी सावा रहेगा।
इसके बाद 15 दिसंबर को सूर्य के धनु राशि में प्रवेश के साथ ही धनु मल मास लग जाएगा व शादी-विवाह पर रोक लग जाएगी। 17 दिसंबर को शुक्र अस्त हो जाएगा, जो कि 3 फरवरी को उदय होगा। हालांकि बसंत पंचमी को 22 जनवरी को अबूझ सावा रहेगा। वहीं, शुक्र अस्त का प्रभाव 6 फरवरी तक रहेगा। इसके बाद से शुभ कार्यों की शुरुआत होगी।