जीवन साथी के चयन के लिए ग्रह मेलापक (गुण-मिलान) की चर्चा होती है तो मांगलिक विचार पर खासतौर पर विचार करते हैं। मांगलिक दोष होने पर घबराएं नहीं, घट विवाह भी इसमें एक उपाय हो सकता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि कन्या की कुंडली में मांगलिक दोष का परिहार नहीं हो रहा हो तो उपाय के रूप में कन्या का प्रथम विवाह/सात फेरे किसी घट (घड़े) या वृक्ष के साथ कराए जाने का विधान है। इसके पीछे तर्क यह है कि मंगली दोष का मारक प्रभाव उस घट या वृक्ष पर होता है, जिससे कन्या का प्रथम विवाह किया जाता है। वर दूसरा पति होने के कारण उस प्रभाव से सुरक्षित रह पाता है।
घट विवाह शुभ विवाह मुहूत्र्त और शुभ लग्न में पुरोहित द्वारा सम्पन्न कराया जाना चाहिए। कन्या का पिता पूर्वाभिमुख बैठकर अपने दाहिने तरफ कन्या को बिठाएं। कन्या का पिता घट विवाह का संकल्प ले। नवग्रह, गौरी गणेशादि का पूजन, शांतिपाठ इत्यादि करे। घट की षोडषोपचार से पूजा करें। शाखोच्चार, हवन, सात फेरे और विवाह की अन्य रस्म निभाएं। बाद में कन्या घट को उठाकर हृदय से सटाकर भूमि पर छोड़ दे जिससे घट फूट जाए। इसके बाद देवताओं का विसर्जन करें और ब्राह्मण को दक्षिणा दें। बाद में सुयोग्य वर से कन्या का विवाह करें।
1.) ऐसे लड़के या लड़की की शादी 28 वर्ष की उम्र बीतने के बाद ही करना। माना जाता है कि इससे भी मंगल दोष दूर हो जाता है।
2.) एक अन्य उपाय में मांगलिक व्यक्ति के लिए ऐसा जीवनसाथी ढूंढा जाता है जो खुद भी मांगलिक हो, ऐसा होने पर भी मंगल दोष दूर हो जाता है।
3.) भारत के कई ग्रामीण क्षेत्रों में मांगलिक दोष दूर करने के लिए किसी पशु से भी विवाह करवाया जाता है।
4.) कुछ ज्योतिषी इसके लिए मंगल की शांति का भी विधान बताते हैं और इसके निमित्त पूजा, पाठ व महामृत्युंजय मंत्र के जाप करवाने की सलाह देते हैं।