1) अगरबत्ती: अगरबत्ती या धुप दोनों में से एक भी वस्तु पूजन के समय जलाना बेहद आवश्यक होता है | कहते हैं इससे घर में विद्धमान सभी नकरात्मक उर्जा समाप्त हो जाती है |
2) इलायची और लौंग: ऐसी मान्यता है की लौंग को यदि लेटी हुई इलायची पर सीधे रखें तो वह शिवलिंग का रूप धारण कर लेती है | लौंग को शिव और इलायची को सती का प्रतीक माना जाता है |
3) चुनरी : देवी के श्रृंगार का एक अहम् हिस्सा चुनरी उनके सर को ढकने के लिए इस्तेमाल की जाती है |
4) नारियल: नारियल यानि श्रीफल को इन्सान के मुख का प्रतीक माना जाता है | जब हम देवी माँ को नारियल अर्पित करते हैं तो हम उन्हें अपना पूरा अस्तित्व सौंप रहे हैं | इसका एक और अर्थ ऐसे भी लिया जा सकता है की नारियल जब टूटेगा तो हमारे भी सारे घमंड और त्रिश्नाएं पूर्ण रूप से समाप्त हो जायेंगी |
5) दही: पंचामृत का एक अहम् हिस्सा दही को उसकी शुद्धता की वजह से किसी भी पूजा में इस्तेमाल किया जाता है |
6) दुर्गा सप्तशती पुस्तक: पुस्तक में लिखित हर अध्याय का विशेष महत्त्व है और उसे तिथि के अनुसार पढ़ना चाहिए |
7) फूल माला: अक्सर देवी की पूजा के लिए लाल फूलों का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन उनके अभाव में अन्य पुष्पों को भी चढ़ाया जा सकता है | ऐसा कहते हैं की देवी को फूलों से बेहद प्रेम है और इनकी सुगंध से वह खींची हुई आपके घर में प्रवेश कर लेंगी |
8) घास: घास का महत्त्व गणेश जी के पूजन में ज्यादा होता है लेकिन देवी की पूजा में इसका इस्तेमाल इसलिए होता है क्यूंकि देवी को स्थापित करने से पहले गणेश जी का आह्वान करना आवश्यक होता है |
9) पांच प्रकार के फल : फलों को हम भोग के तौर पर देवी माँ को अर्पित करते हैं |
10) गंगा जल : गंगा स्वयं आसमान से धरती पर उतरी हैं इसलिए उनका महात्मय तो अलग ही है | इसके इलावा उनकी शुद्धता और पवित्रता के कारण उन्हें हर धार्मिक कार्य का हिस्सा बनाया जाता है |
11) घी: देवी की पूजन में हवन का विशेष महत्त्व है और घी उस हवन की आग को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है |
12) हरी चूड़ी
13) गुलाल: गुलाल की सुगंध देवी को अपनी और आकर्षित करती है | इसके इलावा ऐसा भी मानते हैं की गुलाल के कण दिव्य शक्ति की चेतना को जागृत करते हैं |
14) शहद: शहद भी पंचामृत का हिस्सा है और ऐसा माना जाता है की शहद की तरह हमारी वाणी में भी सदा मिठास होनी चाहिए |
15) देवी दुर्गा की मूर्ती: दुर्गा माँ की तस्वीर नयी भी खरीदी जा सकती है या फिर आप घर में स्थापित तस्वीर या मूर्ति की भी पूजा कर सकते हैं | प्रयास करे की मूर्ति को नए वस्त्र पहनाएं |
16) कपूर: ऐसा माना जाता है की कपूर के जलने से सारे जीवाणु समाप्त हो जाते हैं |
17) कुमकुम: कुमकुम हमारी बुद्धिमानी और भावनाओं का प्रतीक है | कुमकुम चढ़ा हम अपनी बुद्धिमानी का इस्तेमाल कर भावनाओं पर नियंत्रण कर पाएं ऐसी कामना करते हैं |
18) दूध: ढूध सम्पन्नता का प्रतिक है | दूध वो पहला आहार होता है जो एक माँ अपने बच्चे को देती है इसी मान्यता के साथ उसे देवी को अर्पित किया जाता है |
19) लाल धागा: लाल धागा या कलावा रक्षा सूत्र का काम करता है | इसे बाँधने से त्रिदेव तथा तीनों देवीयों की कृपा प्राप्त होती है |
20) पान के पत्ते: पान को हम अक्सर मेहमानन वाज़ी के लिए इस्तेमाल में लाते हैं |इसके इलावा पान में कई स्वास्थ्य गुण भी हैं | पान को चढ़ा हम देवी को न्योता दे एक स्वस्थ जीवन की कामना करते हैं |
21) चावल: पूजा का चावल या अक्षत लम्बी उम्र का प्रतीक होता है | इसको चढ़ा भक्त अपने और अपने परिवार के लिए लम्बी उम्र की कामना करते हैं |
22) रोली: रोली या तिलक माथे के बीच में लगाया जाता है | इस स्थान को आज्ञाचक्र भी कहते हैं | ऐसा मानते हैं की ये स्थान वैसे तो निष्क्रिय होता है लेकिन तिलक लगाते ही मन और दिमाग को नियंत्रित करने लगता है |
23) चन्दन : चन्दन अपनी सुगंध और शीतलता के लिए प्रसिद्द है | केसर और चन्दन का लेप अक्सर देवी देवताओं के तिलक के लिए इस्तेमाल किया जाता है |
24) सुपारी: सुपारी ताकत का प्रतीक होती है | सुपारी और पान का इस्तेमाल कर हम देवी से स्वस्थ लम्बी आयु की कामना करते हैं |
25) चीनी: चीनी का इस्तेमाल पंचामृत को मिठास प्रदान करने के लिए किया जाता है | इस प्रकार की मिठास हमारे जीवन में भी बनी रहे ऐसी कामना की जाती है |
आशा है इस लेख को पढने के बाद आपको समझ में आ गया होगा की कौन सी ऐसी वस्तु है जिसका इस्तेमाल आप नवरात्रे पूजन में नहीं कर रहे थे | देवी माँ आपके जीवन में सारी खुशियाँ बनाये रखें इसी कामना के साथ नवरात्रों की शुभकामनाएं |