नवदुर्गाओं में मां आद्यशक्ति के पांचवे स्वरूप स्कंदमाता की आराधना नवरात्रि के पांचवे दिन की जाती है। इस दिन साधक का मन विशुद्धि चक्र में स्थित होता हैं। इस दिन मां स्कंदमाता की आराधना करने से भक्तों की समस्त, दैहिक, दैविक और भौतिक कामनाओं की इच्छापूर्ति होती है और वह दिव्य शक्तियों को प्राप्त कर समस्त प्रकार के सुख प्राप्त करता है।
मां स्कंदमाता चतुर्भुजरूप धारी तथा सिंह पर सवार है। उनकी गोद में देवताओं के सेनापति कार्तिकेय विराजमान है, इसी से उन्हें स्कंदमाता कहा जाता है। इनका गौरवर्ण स्वरूप अत्यन्त शांत तथा भक्तों के समस्त कष्ट हर उन्हें सुख देने वाला है।
सुबह स्नान-ध्यान आदि से निवृत्त होकर श्वेत रंग के वस्त्र धारण करें तथा विधिवत मां स्कंदमाता की आराधना करें। उनके स्वरूप का ध्यान करते हुए निम्न मंत्र का 108 बार जप करें। उन्हें पुष्प, माला, आदि अर्पित करें तथा केले का भोग लगाएं और गरीबों को भी केले का दान करें। इससे घर-परिवार में सुख-शांति आती है और साधक धर्म के मार्ग पर सफलतापूर्वक चलने के लिए अग्रसर होता है।